Episode 22. मुझमे है राम मुझी में रावण

कुछ मेरी कुछ तुम्हारी

15-09-2021 • 2 minuti

प्रिय दोस्तों

आप सबसे अब तक बहुत सारा प्यार और आशीर्वाद मिला है हमें।  हर किसी से कुछ न कुछ सीखने को जरूर मिला है।  आप सबके लिए मैंने एक कविता का पाठ किया है।

ये मेरी सबसे पुरानी कविताओं में से एक है जो कितनी ही कविताओं के लिखने पढ़ने के बाद भी हमेशा मेरे जेहन से निकल पड़ती है क्यूंकि ये वो सीख है जिसमे लोग साड़ियां लगाकर भी नहीं समझ पाते।  मैंने भी जब लिखा था तब से अब तक मुझमे न जाने कितने बदलाव आये , कितनी समझ में परिवर्तन आया पर जो भाव इस कविता में निहित है वो ज्यों का त्यों है।

उम्मीद है मेरा ये काव्य पाठ का प्रयास आपको पसंद आएगा। यदि पसंद आये तो अपने प्रियजनों के साथ अवश्य साझा करें। और यदि इस पर कोई भी दो शब्द कहने का वक्त मिले तो बेझिझक होकर कहें आपकी हर बात प्रेम से स्वीकार है हमें

आप सबकी सखी

अनुपम मिश्र